लॉकडाउन और हमारे जामवन्त

आजकल सारी दुनिया में कोरोनावायरस का कहर है। मानव दुनिया  शिथिल सी पड़ चुकी है, और भारत में भी फॉग की जगह लॉकडाउन चल रहा है। लोग घरों पर बंद हैं, बंद घर में वो क्या खा रहे हैं इसका बखूबी सबको बताते जा रहे हैं, और इसी बीच दूरदर्शन पर रामायण- महाभारत के प्रसारण ने इसे और अधिक सुविधाजनक सा बना दिया है। एक दिन रामायण देखते-देखते मुझे भी एहसास हुआ कि लोकडाउन के अपने कुछ फायदे भी हो रहे हैं, न तो कोई किसी के घर आ रहा है और न ही कोई किसी के घर जा रहा है। इसी आने-जाने के फेर में आजकल हमारे समाज के जामवंत भी घर बंद है।
जामवंत सुग्रीव के सहायक थे और जब हनुमान जी को अपनी शक्तियां याद नहीं आ रही थी तो वह जामवंत ही थे जिन्होंने उन्हें शक्तियों का ज्ञान कराया। लेकिन आज की स्थिति बड़ी विकट और भयानक है, कलयुग में जामवंत जगह जगह पाए जाते हैं। आप सुबह-सुबह घर से निकलते हैं और आपके ‘शुभचिंतक’ जामवंत आपको मिलना शुरू हो जाते हैं। समाज का अंग होने के नाते आप उन्हें सुन भी लेते हैं और सम्मान के कारण कुछ कहते भी नहीं हैं। यूँ  तो हनुमान को अपने जीवन में सिर्फ एक जामवंत की जरूरत थी किंतु आपको हजारों की संख्या में मिलेंगे और मिलते रहेंगे। अपना ही उदाहरण बताता हूं कि जब दुर्भाग्यवश किन्हीं कारणों से मैं अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ कर वापस क्या आया, मुझे तो मानो ढूंढ ढूंढ कर मेरे घर आकर जामवंत मुझसे मिलने लगे। मेरा एक मित्र जो मेरे साथ इंजीनियरिंग करने गया था और मेरे वापस आने के बाद वह अपनी इंजीनियरिंग कर रहा था, उसके पिताजी जब घर पर आए तो मुझे सांत्वना देते हुए बोले कि बेटा सुनो इंजीनियरिंग अधिक कठिन लग रही थी या अंग्रेजी भाषा के ना आने के कारण समझ नहीं आ रही थी और अभी भी यदि बीएससी में गणित कठिन लगे तो बीए कर लेना कोई बुराई नहीं है। तुम किसी की चिंता मत करो तुम तो प्राइवेट बीए कर लो आसानी से हो जाएगी 3 साल निकल जाएंगे। और जब मैंने पूछ लिया कि अंकल आपने क्या किया था? तो अंकल ने बड़ी ही सहजता के साथ कह दिया बेटा क्या है उस टाइम पर हमारे लिए कोई सलाह देने वाला ही नहीं था और उस टाइम तो दसवीं ग्रेजुएशन के बराबर होती थी। वह दिन था कि जीवन में क्रोध के विकल्प के रूप में हँसी को मैंने स्थान देना सीख लिया था। अंकल के जाते ही एक और अंकल आ गए और बोले कि तुम तो इंजीनियरिंग के लिए बने ही नहीं हो बेटा! तुम्हारा दिमाग तो बैंकिंग जैसा है, भगवान कसम गलती से क्षण भर के लिए तो मैं बेकिंग सुन लिया था और अंदर ही अंदर कांप रहा था। संभवतः इनका खाना तब तक नहीं पचता जब तक दिन में 5-6 हनुमान न खोज लें और लंका खोजने उनकी शक्ति याद न दिला दे।
इन जामवंतों का सिलसिला चलता रहता है।आप कभी कहीं जा रहे हैं और गलती से इनसे कुछ पूछ लिया या इन्हें पता चल जाए तो तुम्हें भारत के कौन से शहर में जाना है यह तुम्हें ट्रेन, बस, होटल बुकिंग सब की टाइमिंग- प्राइसिंग ऐसे बता देते हैं जैसे हर हफ्ते ये लोग वहां जा रहे हैं ।  इनके पास सारा ज्ञान है आखिर होगा तो सही क्योंकि यह भी कलयुग में ब्रह्माजी के मानस पुत्र जो हैं। आप जब भी कभी बाल कटाने के बाद आएंगे तो यह लोग तो आपको यह भी बता देते हैं कि हेयर स्टाइल कैसा होना चाहिए था उनसे पूछ कर क्यों नहीं गए। यह तो यदि आपके घर में निर्माण कार्य चल रहा है तो वहां आकर भी सलाह दे जाते हैं जैसे भगवान विश्वकर्मा भी यह स्वयं ही हों और वह बेचारा राजमिस्त्री इस तरह से मुंह लटकाए इनकी ओर देखता है जैसे उसने कोई अपराध कर दिया हो। यह जामवंत आपको आपकी वो खासियत बता सकते हैं जो शायद ही आप कभी जान पाते। भले यह बात अलग है कि इन लोगों ने कभी अपनी कोई खासियत न जान पाई हो।
खैर हनुमान ने तो जामवंत की सलाह पर लंका पार कर ली थी लेकिन यदि आपने इन हजारों जामवन्तों को सुन लिया तो आप वाकई सड़क भी पार नहीं कर पाते हैं। यह त्योहारों पर आपके घर जब आते हैं आपकी नमकीन मिठाई बड़े आनंद से तो खाते हैं लेकिन फिर भी ‘अपनी भाभी-दीदी’ को नमक लगाकर नमक की सलाह दे जाते हैं। आजकल अच्छा दौर है कोई संबंध नहीं मिलता है अभी पिछले एक महीने से थोड़ा सुखी दौर है, अभी अभी थोड़ी छूट मिली है तो कल कुछ किराना सामान लेने के लिए घर से बाहर निकला था और सामने से अपनी हल्की मुस्कान लिए हुए एक जामवंत जी आ रहे थे। जैसे ही दूर से हमारी आंखों ने एक दूसरे को देखा तभी मैंने दो झूठी छींक मारी और वह अपना रास्ता बदल कर चले गए।

One thought on “लॉकडाउन और हमारे जामवन्त

  1. Great!!
    U described the real condition of the poeple of our society in such a irony and funny tone that it made m laugh harder 😅😅

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